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ललन सिंह को नीतीश कुमार ने अध्यक्ष पद से निकाला लात मार कर!

नितीश कुमार और ललन सिंह

नितीश कुमार और ललन सिंह

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नीतीश कुमार जदयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। ललन सिंह के इस्तीफे के बाद अब उन्होंने यह पद ग्रहण कर लिया है। इधर जदयू ने शाम के समय में प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। जदयू की ओर से सामने आए वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कई बातें कहीं। उन्होंने भाजपा या राजग के साथ फिर जाने के सवाल का भी जवाब दिया।

देश की राजनीति में हफ्ते भर से लगाए जा रहे कयासों एवं चर्चाओं पर शुक्रवार को उस समय विराम लग गया, जब दिल्ली में जदयू कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और सर्व-सम्मति से नीतीश कुमार को नया अध्यक्ष चुन लिया गया। जदयू कार्यकारिणी में ललन सिंह ने ही नीतीश के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसपर कार्यपरिषद ने बिना किसी गतिरोध-प्रतिरोध के मुहर लगा दी।

नीतीश ने दूसरी बार पार्टी की कमान संभाली है। साथ ही संसदीय चुनाव के लिए इंडिया के घटक दलों के साथ राज्यों में सीटों के तालमेल, प्रत्याशियों के चयन एवं अन्य सभी नीतिगत मामलों में निर्णय के लिए सर्वसम्मति से नीतीश को ही अधिकृत किया है। इसके साथ ही जहां कुछ प्रस्ताव पारित कर यह संदेश दिया गया कि पार्टी गठबंधन के साथ है वहीं खुद नीतीश ने सीधे कांग्रेस और परोक्ष रूप से गठबंधन नेताओं पर भी निशाना साधा।

त्यागी ने बताया- नीतीश अध्यक्ष बन गए, राजग से संबंधों पर भी बोले

बैठक के बाद जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने अधिकृत प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि ललन सिंह के प्रस्ताव पर नीतीश कुमार जदयू के विधिवत अध्यक्ष हो गए। उन्होंने बिहार में सत्तारूढ़ सहयोगी राजद के साथ संबंधों की व्याख्या करते हुए लालू यादव को गठबंधन का नेता और राजद को मित्र पार्टी बताया। साथ ही भाजपा के साथ जदयू के जाने के कयासों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा से हमारा लेना-देना नहीं। लेकिन भाजपा से पुरानी मित्रता के सवाल पर केसी त्यागी ने कहा कि राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता है। असहमति होती है। विचारों की भिन्नता होती है।

अपनी शर्त पर राजनीति करती है जदयू : केसी त्यागी

जदयू अपनी शर्तों पर राजनीति करती है। राजग में रहते हुए भी हमने समान नागरिक संहिता का समर्थन नहीं किया। इसी तरह राममंदिर के मामले पर जबतक कोर्ट से फैसला नहीं आ गया तबतक हमारी लाइन भाजपा से अलग रही। हालांकि इससे पहले जाति आधारित गणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने विपक्षी गठबंधन को निशाने पर रखा। कार्यकारिणी और कार्यपरिषद की बैठक में जोर देकर कहा कि कांग्रेस भी क्या कर रही है? घूम-घूमकर जाति गणना की बात कर रही है लेकिन कभी भी बिहार में हुए काम की प्रशंसा नहीं की। मुंबई की बैठक में तय किया गया था कि इसे एजेंडे में शामिल किया जाएगा लेकिन कुछ लोगों ने विरोध किया और फिर टल गया। ध्यान रहे कि मुंबई की बैठक में ममता बनर्जी ने विरोध किया था और फिर कांग्रेस ने भी इसे प्रस्ताव में शामिल करने से टाल दिया था। दो घंटे के अंतराल पर दो बार नीतीश की ओर से इस बयान के भी अर्थ निकाले जा रहे हैं कि वह गठबंधन नेताओं के कामकाज और सोच से बहुत सहमत नहीं हैं।

एनडीए में जाने की बात भ्रामक

जदयू में आंतरिक गतिरोध और गठबंधन की लाइन को स्पष्ट करते हुए केसी त्यागी ने कहा कि न हमारी पार्टी टूटी है और न ही दोनों वरिष्ठ नेताओं में झगड़ा है और न हम एनडीए में जा रहे हैं। जदयू के राजनीतिक प्रस्तावों से भी विपक्षी गठबंधन की दशा-दिशा परिभाषित होती दिखती है। संसद की सुरक्षा में सेंध पर सवाल उठाते हुए जदयू ने 149 सांसदों के निलंबन को लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताते हुए निंदा की है। आर्थिक प्रस्ताव में महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया। भाजपा पर आरोप भी लगाया है कि मंडल की राजनीति के विरुद्ध कमंडल लेकर निकली थी। किंतु आज सबकी मजबूरी है कि समाजवादियों के एजेंडे पर चलने के लिए मजबूर हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज ह चौहान के बदले मोहन यादव को सीएम बनाया गया है, जो समाजवादी विचारों की जीत है।

जनवरी से जनजागरण पर नीतीश

बिहार में जाति आधारित गणना को जदयू माडल की तरह प्रस्तुत करेगी। नीतीश कुमार जनवरी से जनजागरण के लिए निकलेंगे, जिसकी शुरुआत झारखंड से होगी। सीट बंटवारे को भी विपक्षी गठबंधन में बिहार माडल की तरह प्रस्तुत करेगा। केसी त्यागी ने कहा कि यहां कोई विवाद नहीं है। राजद और जदयू में सब ठीक है। ललन सिंह को लालू प्रसाद का समर्थक बताकर लगाए जा रहे कयासों को भी खारिज करते हुए त्यागी ने कहा कि सारी बातें भ्रामक हैं।

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