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ऑपरेशन सिंदूर पर विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी
भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी:- “9 और 10 मई की मध्य रात्रि को भारत ने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हवाई हथियारों से हमला करके जवाब दिया।”
भारत और सऊदी अरब
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी: भारत और सऊदी अरब में साझेदारी की “अपार क्षमता” हैं।
राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के प्रतिद्वंद्वी एक्रेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी तुर्की में लोकतंत्र के अंत का प्रतीक है
तुर्की में लोकतंत्र की हत्या राष्ट्रपति रेसेप तय्यप एर्दोगान ने एक्रेम इमामोग्लू की गिरफ्तारी की।
पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को यूट्यूब चैनल रफ्तार
पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को पाकिस्तान सेना द्वारा गिरफ्तार किया।
कैलाश मानसरोवर
भारत और चीन 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमति बन गई।
तेल एवं गैस
तेल एवं गैस उत्पादन संशोधन विधेयक भारत में ऊर्जा उत्पादन को क्रांतिकारी लाभ देगा।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी: पाकिस्तानी आतंकवाद भारत की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा “खतरा” है।
भारत आतंकवाद-विरोध पर आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ रक्खा है।

पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को पाकिस्तान सेना द्वारा गिरफ्तार किया।

पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को यूट्यूब चैनल रफ्तार

पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को अपने यूट्यूब चैनल रफ़्तार पर “पाकिस्तानी सेना की असलियत और जुल्मों की दास्तान” प्रसारित करने के लिए पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने गिरफ्तार (जबरन उठाया) किया।

पाकिस्तान के कराची की एक अदालत ने पत्रकार फरहान मलिक को अपने यूट्यूब चैनल पर कथित रूप से “पाकिस्तान विरोधी” सामग्री प्रसारित करने के लिए शुक्रवार को चार दिनों के लिए संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की हिरासत में सौंप दिया।

पाकिस्तान के मलिक मीडिया एजेंसी रफ़्तार के संस्थापक हैं जो खुद को “कहानी कहने की शक्ति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित एक गतिशील मंच” के रूप में वर्णित करती है। वह समा टीवी के पूर्व समाचार निदेशक भी हैं ।

पाकिस्तान के यूट्यूबर को एक दिन पहले कराची में गिरफ्तार किया गया था, रफ्तार ने दावा किया कि एफआईए के अधिकारी बुधवार शाम को बिना किसी पूर्व सूचना के उनके कार्यालयों में आए, जहां उन्होंने “हमारी टीम को परेशान किया” और मलिक को अपने कार्यालय में बुलाया।

ऑनलाइन साझा किए गए और डॉन द्वारा सत्यापित दस्तावेजों के अनुसार, मलिक को आज पाकिस्तान के कराची के न्यायिक मजिस्ट्रेट- I (पूर्व) युसरा अशफाक के समक्ष पेश किया गया, जहां एफआईए ने उनकी 14 दिन की भौतिक हिरासत मांगी, लेकिन उन्हें 25 मार्च (मंगलवार) तक चार दिनों के लिए रिमांड पर दे दिया गया ।

उन्होंने दिखाया कि एफआईए ने उन पर इलेक्ट्रॉनिक अपराध निवारण अधिनियम (पीईसीए) 2016 की धारा 16 (पहचान की जानकारी का अनधिकृत उपयोग), 20 (प्राकृतिक व्यक्ति की गरिमा के खिलाफ अपराध) और 26-ए के साथ-साथ पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) और 109 (उकसाना) के तहत मामला दर्ज किया था ।

विशेष रूप से, धारा 26 ए हाल ही में पाकिस्तान पीईसीए कानूनों में जोड़े गए प्रावधानों में से एक है , जिसमें फर्जी खबर को किसी भी ऐसी जानकारी के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसके बारे में कोई व्यक्ति “जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है कि यह झूठी या नकली है और भय, घबराहट या अव्यवस्था या अशांति की भावना पैदा करने या बनाने की संभावना है”।

पाकिस्तान में ऐसी सूचना फैलाने का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन वर्ष तक की जेल या 20 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं।

ऑनलाइन दुष्प्रचार के अपराधीकरण से पाकिस्तान में भय फैल गया है, तथा पत्रकार भी इस कानून की व्यापक पहुंच को लेकर चिंतित हैं।

पाकिस्तानी पत्रकार फरहान मलिक को यूट्यूब चैनल रफ्तार

मानवाधिकार वकील इमान जैनब मजारी-हाजिर ने एएफपी को बताया , “संशोधन विशेष रूप से असहमति को दबाने, पत्रकारों का अपहरण करने, उन्हें गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने, पत्रकारिता को चुप कराने, असहमति को चुप कराने और पाकिस्तान की सेना खिलाफ सभी आलोचनाओं को चुप कराने के लिए लाए जा रहे हैं।” 20 मार्च की प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के अनुसार, एफआईए को रफ़्तार टीवी के यूट्यूब चैनल के बारे में एक रिपोर्ट मिली थी , जो “उल्लंघन में उल्लिखित पाकिस्तान की सेना के गणमान्य व्यक्तियों को लक्षित करके पाकिस्तान विरोधी वीडियो पोस्ट करने के लिए एक अभियान चलाने में शामिल था”। इसमें कहा गया है कि यूट्यूब चैनल के प्रारंभिक तकनीकी विश्लेषण से पता चला है कि मलिक “राज्य विरोधी फर्जी खबरों और सार्वजनिक भड़काने वाले एजेंडे से संबंधित पोस्ट और वीडियो बनाने और प्रसारित करने में शामिल था”।

पाकिस्तान में पत्रकारों को यूट्यूब चैनल चलाने पर गिरफ्तारी: एक विस्तृत विश्लेषण

भूमिका

पाकिस्तान में पत्रकारों को यूट्यूब चैनल चलाने के कारण गिरफ्तार किए जाने की घटनाएँ हाल के वर्षों में बढ़ी हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जो प्रेस की स्वतंत्रता, डिजिटल मीडिया की स्वतंत्रता, और सरकार एवं सैन्य प्रतिष्ठानों के बीच शक्ति संतुलन से जुड़ा हुआ है। इस लेख में, हम विस्तार से इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करेंगे।


1. पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति

पाकिस्तान में पारंपरिक मीडिया (टीवी, अखबार) सरकार और सेना के प्रभाव में काम करता है। लेकिन सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म, विशेष रूप से यूट्यूब, पत्रकारों और स्वतंत्र आवाज़ों के लिए एक वैकल्पिक मंच बन गया है। हालाँकि, हाल के वर्षों में डिजिटल मीडिया पर भी दबाव बढ़ा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 150वें स्थान पर था।


2. यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध और गिरफ्तारियाँ

पाकिस्तानी पत्रकारों को यूट्यूब चैनल चलाने के लिए गिरफ्तार किए जाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं:

2.1. सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना

  • कई पत्रकार यूट्यूब के माध्यम से पाकिस्तान सरकार और सेना की आलोचना करते हैं।
  • पाकिस्तान में सेना एक प्रभावशाली संस्थान है, और उसकी आलोचना करने वाले पत्रकारों को देशद्रोह या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए, इमरान खान की सरकार गिरने के बाद कई पत्रकारों ने सेना की भूमिका पर सवाल उठाए थे, जिसके कारण उन्हें धमकियाँ मिलीं या गिरफ्तार किया गया।

2.2. राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला

  • पाकिस्तान सरकार अक्सर “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हवाला देकर पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर रोक लगाती है।
  • कई मामलों में, पत्रकारों को आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत गिरफ्तार किया गया है।

2.3. साइबर क्राइम और डिजिटल मीडिया पर नए कानून

  • पाकिस्तान में 2016 में ‘प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट’ (PECA) लागू किया गया था, जो सरकार को ऑनलाइन कंटेंट को नियंत्रित करने का अधिकार देता है।
  • इस कानून का उपयोग स्वतंत्र पत्रकारों और यूट्यूबर्स के खिलाफ किया जाता है।

2.4. फर्जी खबरों और गलत सूचना का आरोप

  • सरकार और सेना के खिलाफ बोलने वाले पत्रकारों पर “फेक न्यूज़” फैलाने का आरोप लगाया जाता है।
  • कई मामलों में, पत्रकारों के यूट्यूब चैनलों को बंद कर दिया जाता है या उनके वीडियो हटा दिए जाते हैं।

3. पत्रकारों की प्रमुख गिरफ्तारियाँ और मामले

3.1. इमरान रियाज खान

  • इमरान रियाज खान एक प्रसिद्ध पत्रकार और यूट्यूबर हैं, जिन्हें 2022 में गिरफ्तार किया गया था।
  • उन्होंने पाकिस्तान सेना और सरकार की आलोचना की थी।
  • उनकी गिरफ्तारी को मीडिया पर दबाव के रूप में देखा गया।

3.2. अर्शद शरीफ

  • अर्शद शरीफ को कई धमकियाँ मिलीं और उन्हें देश छोड़कर दुबई और फिर केन्या जाना पड़ा।
  • 2022 में उनकी हत्या कर दी गई, जिसे संदिग्ध परिस्थितियों में किया गया एक ‘टार्गेट किलिंग’ बताया जाता है।

3.3. ओर्या मकबूल जान

  • एक अन्य यूट्यूबर, ओर्या मकबूल जान, को धार्मिक मामलों और पाकिस्तान सेना की भूमिका पर बोलने के लिए गिरफ्तार किया गया था।

3.4. औन अली खोसा

  • औन अली खोसा, जो एक स्वतंत्र यूट्यूबर और हास्य कलाकार हैं, को पाकिस्तान सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना करने के कारण गिरफ्तार किया गया था।

4. सोशल मीडिया और डिजिटल सेंसरशिप

पाकिस्तान में डिजिटल मीडिया पर बढ़ते प्रतिबंध और सेंसरशिप के कई उदाहरण हैं:

  • 2020 में, यूट्यूब को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
  • कई स्वतंत्र यूट्यूब चैनल बंद किए गए हैं।
  • फेसबुक और ट्विटर पोस्ट को हटाने के लिए सरकार सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव डालती है।

5. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार संगठनों की भूमिका

  • रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF), एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पाकिस्तान में प्रेस स्वतंत्रता पर चिंता जताई है।
  • अमेरिका और यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान सरकार से मीडिया स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की मांग की है।
  • कई वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की आलोचना की गई है।

6. निष्कर्ष

पाकिस्तान में पत्रकारों को यूट्यूब चैनल चलाने के कारण गिरफ्तार किया जाना प्रेस स्वतंत्रता पर एक गंभीर हमला है। सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान की आलोचना करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाया जाता है, और साइबर कानूनों का उपयोग उन्हें चुप कराने के लिए किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए, और पाकिस्तान में स्वतंत्र पत्रकारिता को समर्थन देना चाहिए।

क्या डिजिटल स्वतंत्रता के लिए कोई हल संभव है?

  • डिजिटल अधिकारों की रक्षा के लिए मजबूत कानून बनाए जाने चाहिए।
  • यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को स्वतंत्र पत्रकारों की सुरक्षा के लिए और अधिक कदम उठाने चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाया जाना चाहिए ताकि पाकिस्तान में पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति मिले।
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